कनाड़ा की 82 वर्षीय महिला कथाकार एलिस मुनरो को साहित्य का नोबेल
पुरस्कार
एम
वेंकटेश्वर
कनाड़ा की सुप्रसिद्ध लोकप्रिय कहानीकार एलिस मुनरो को वर्ष 2013 का साहित्य के
नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है ।
स्वीडिश अकादमी स्टॉकहोम का
प्रतिष्ठापूर्ण साहित्य का नोबेल पुरस्कार चयनित साहित्यकार को उनके जीवन भर के
विश्व स्तरीय अद्वितीय लेखन के लिए प्रदान किया जाता है । इस पुरस्कार के अंतर्गत
स्वीडिश अकादमी के द्वारा स्टॉक होम में एक भव्य समारोह में अंतर राष्ट्रीय
गणमान्य अतिथियों के समक्ष पुरस्कार ग्रहीता को
12 लाख डॉलर की राशि और प्रशस्ति पत्र प्रदान की जाती है । पुरस्कार की
घोषणा में स्वीडिश अकादमी ने सुश्री मुनरो को ' समकालीन कहानी की स्वामिनी ' कहकर प्रशंसित किया है
। एलिस मुनरो इस पुरस्कार को ग्रहण करने वाली 13 वीं महिला हैं । इस गौरवशाली
पुरस्कार के लिए सुश्री मुनरो के नाम की घोषणा से विश्व अंग्रेजी साहित्य जगत में
खुशी की लहर फैल गई और इस बार साहित्य प्रेमियों ने इस घोषणा से प्रसन्नता जाहिर
की क्योंकि ऐसा देखा गया है कि साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए कई बार अतिसाधारण
रचनाकारों को भी अप्रकट कारणों से चयनित किया जाता रहा । एलिस मुनरो ने जीवन भर
में 14 कहानी संग्रहों की रचना की है । वे
मूलत: मनुष्य के गहरे आंतरिक मनोभावों का
उद्घाटन करने वाली लेखिका के रूप में कहानी संसार में प्रतिष्ठित हुई हैं । साहित्य जगत में यह माना जा रहा है कि इस
प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए उनके चयन का यही आधार है । एलिस मुनरो ने समकालीन अंग्रेजी कहानी को
संरचनात्मक दृष्टि से एक नई दिशा प्रदान की । कहानी की बुनावट को उन्होने अपनी खास
शैली से विशेष प्रभावशाली बनाया । वे अपनी कहानियों को अप्रत्याशित ढंग से प्रारम्भ कर उसे कभी समय के आगे या पीछे की ओर लेकर चलती हैं । पाठकों ने उनकी कहानियों में
लेखिका की ग्रामीण पृष्ठभूमि को प्रमुख रूप से पहचाना है । उनकी कहानियों मे सहज परिहासयुक्त चुटीले जीवन के विविध प्रसंग प्रमुख रूप से प्रस्तुत
हुए हैं ।
एलिस
मुनरो ने गत वर्ष प्रकाशित कहानी संग्रह ' डियर लाइफ ' को अपना अंतिम संग्रह स्वीकार किया
है ।इस कहानी संग्रह के प्रकाशन के बाद उन्होने अपनी लेखनी को विराम दे दिया
है । ' नेशनल पोस्ट कनाड़ा ' को दिये गए अपने साक्षात्कार
में उन्होने इस निर्णय की पुष्टि की । हाल के वर्षों में उन्होने पुरस्कारों के प्रति एक प्रकार की उदासीनता का
रुख अपनाया लिया था । स्वीडिश अकादमी द्वारा जब नोबेल पुरस्कार की घोषणा एलिस
मुनरो के लिए की गयी तो अकादमी के लिए लेखिका को सूचना देने के लिए काफी मशक्कत
करनी पड़ी और उन्हें यह सूचना उनके फोन पर छोड़नी पड़ी । सुश्री मुनरो इन दिनों ओंटेरियो शहर के क्लिंटन
इलाके में रहती हैं किन्तु वे अपनी पुत्री के पास विक्टोरिया ( ब्रिटिश कोलम्बिया)
गईं हुईं थीं, जहां उन्हें प्रात: चार बजे नींद से जगाकर यह
खबर दी गयी । कुछ क्षणों बाद जैसे वे किसी मादक स्थिति से उभरी हों उन्होने भावुक
होकर कनेडियन ब्रॉडकास्टिंग कार्पोरेशन को फोन द्वारा अपने ये उद्गार व्यक्त किए -
" यह असंभव लगता है, यह इतनी शानदार घटना है कि मैं इसका
वर्णन नहीं कर सकती । मेरे पास शब्द नहीं
हैं इसे बयान करने के लिए । "
तत्पश्चात
उन्होने उपन्यास की तुलना में पाठकों की कहानी के प्रति बढ़ती अरुचि के प्रति चिंता
व्यक्त की । उनके शब्दों में " कम से कम अब लोग कहानी को भी महत्वपूर्ण
साहित्य कला के रूप में स्वीकार करेंगे और
केवल उपन्यास की महानता का ही गुणगान नहीं
करेंगे ।
कनाड़ा के प्रधान मंत्री स्टीफेन
हार्पर ने साहित्य की नोबेल पुरस्कार विजेता एलिस मुनरो को कनाडा की प्रथम
महिला कहकर उन्हें समस्त कनाड़ा -वासियों की ओर से उनके जीवन-पर्यंत विलक्षण लेखन के लिए बधाई दी । सलमान रश्दी ने
मुनरो को " इस विधा की सच्ची कलाकार
कहा " एलिस मुनरो का प्रथम कहानी
संग्रह ' डांस ऑफ द हैप्पी डेज़ ' उनके जीवन के 37 वें वर्ष में प्रकाशित हुई । उसके बाद वे निरंतर लिखती
रहीं । उनकी कहानियाँ मुख्यत: अपने गृहनगर
ओंटेरियो के ग्रामीण परिवेश के इर्दगिर्द के जीवन पर केन्द्रित रहीं हैं। वहाँ के
लोगों की कामनाओं, कुंठाओं, असंतोष को
प्रकट करती हैं । सन् 1998 में उनके कहानी संग्रह ' द लव ऑफ
ए गुड वुमन ' को नेशनल बुक क्रिटिक्स सर्कल एवार्ड से
सम्मानित किया गया ।
एलिस ऐन
मुनरो का जन्म 10 जुलाई 1931 विङ्हेम ओंटेरियो कनाड़ा में हुआ । 2013 में नोबेल
पुरस्कार के अतिरिक्त उन्हें 2009 में आजीवन लेखन के लिए मैन बुकर
इन्टरनेशनल प्राइज़ से सम्मानित किया गया । वे कथा लेखन के लिए कनाड़ा की गवर्नर
जनरल एवार्ड से तीन बार सम्मानित हुईं हैं । मुनरो को समीक्षकों ने कहानी लेखन में
चेखव के समतुल्य स्थान दिया है । उन्हें समकालीन रचचनाकारों में महानतम कथा लेखिका
का दर्जा प्राप्त है । मुनरो के पिता रॉबर्ट लैडलॉ पशु पालन का व्यवसाय और उनकी
माता ऐन क्लार्क लैड लॉ स्कूल में पढ़ाती थीं । किशोरावथा से ही एलिस मुनरो में
कहानी लेखन के प्रति विशेष रुचि थी । वेस्टर्न ओंटेरियो यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी
और पत्रकारिता की शिक्षा प्राप्त के दिनों में 1950 में पहली कहानी ' द डाइमेनशन्स ऑफ ए शेडो ' प्रकाशित हुई । पढ़ाई के दिनों में मुनरो तंबाखू
बीनने और पुस्तकालय में सहायक का कार्य करतीं और कहानियाँ लिखतीं । 1949 में
उन्होने अपने सहपाठी जेम्स मुनरो से विवाह किया और ये विक्टोरिया आकार बस गए जहां
उन्होने मिलकर ' मुनरो बुक्स ' नामक
पुस्तकों की दूकान खोली जो आज तक चल रही है । मुनरो ने 2009 में अपने प्रशंसकों को
यह बताकर चौंका दिया की वे कैंसर और हृदय रोग से ग्रस्त हैं ।
एलिस
मुनरो के समीक्षकों ने स्वीकार किया कि उनकी कहानियों में संवेदना और भावनाओं को
उपन्यास की गहराई के साथ ही चित्रित किया जाता है जिस कारण उनके लेखन में निहित
कहानी - उपन्यास के द्वंद्व को झुठला देती हैं । समीक्षकों ने इसकी परवाह नहीं की
और उनके कहानी साहित्य को इस विवाद से अलग रखा है । मुनरो उपन्यास के महिमा मंडित
वर्चस्व को स्वीकार नहीं करतीं । उनकी कहानियों में वह सब कुछ है जो उपन्यास में
हो सकता है । मुनरो की कहानी लेखन की विधा को सदर्न ओंटेरियो गोथिक शैली कहा जाता
है । अनेक राष्ट्रीय और अंतर राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित एलिस ऐन की मौलिक
कहानी संग्रहों का विवरण निम्नलिखित है -
1 डांस ऑफ हैप्पी डेज़ 1968 ( गवर्नर जनरल एवार्ड 1968 )
2 लाइव्स ऑफ गर्ल्स एंड विमेन - 1971
3 समथिंग
आई हेव बीन मीनिंग टु टेल यू - 1974
4 व्हाट डु यू थिंक यू आर - 1978 ( गवर्नर जनरल एवार्ड 1978 )
5 द मून्स ऑफ जुपिटर - 1982
6 द प्रोग्रेस ऑफ लव - 1986
7 फ्रेंड ऑफ माई यूथ - 1990
8 ओपेन
सीक्रेट्स - 1994
9 द लव ऑफ गुड वुमेन - 1998
10 हेटशिप, फ्रेंडशिप, कोर्टशिप,लवाशिप, मैरेज - 2001
( हाल ही में ' अवे फ्राम हर ' नाम से प्रकाशित )
11 रन अवे - 2994 ( गिल्लर प्राइज़ 2004 )
12 द व्यू
फ्राम कासल रॉक - 2009
13 टू मच हैप्पीनेस - 2009
14 डियर लाईफ - 2012
एम
वेंकटेश्वर
9849048156
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