Thursday, October 10, 2013

सचिन के संन्यास के साथ भारतीय क्रिकेट के स्वर्णिम युग का अंत

क्रिकेट के भगवान - इस खेल के इतिहास को नए सिरे से लिखने वाले एक महान शीलवान गुणी महामानव कहलाने योग्य सामर्थ्य के दावेदार - सचिन रमेश तेंदुलकर - ने आखिर अपने बल्ले को विश्राम देने का मन बना ही लिया और अनेक अटकलों के बीच बहुत ही अप्रत्याशित अवसर पर चुपचाप, इस खेल के सभी प्रारूपों से अलविदा कहने का समय चुन लिया और उन्होने बी सी सी आई को एक पत्र के द्वारा अपने  इस निर्णय को सूचित कर दिया। बी सी सी आई ने इस सूचना को मीडिया के लिए रिलीज़ किया तो क्रिकेट जगत मे हलचल मच गया और विश्व भर का मीडिया सचिन के इस निर्णय और इससे उत्पन्न उनके प्रशंसकों की प्रतिक्रियाओं को प्रसारित करने मे डूब गया। हर चैनल, हर समाचार माध्यम ने अपने ढंग से इस खबर पर अपने आकर्षक कार्यकर्मों का प्रसारण शुरू कर दिया। भारत का हर खेल प्रेमी और हर भारतीय जो क्रिकेट से न भी जुड़ा हो, हर उम्र के व्यक्ति ने सचिन के प्रति अपना प्यार, सम्मान और उनके क्रिकेट के प्रति जुनून को सलाम किया । निश्चित ही सचिन विश्व भर के खेल प्रेमियों के बड़े से बड़े सम्मान के हकदार हैं । वे एक महान ही खिलाड़ी ही नहीं बल्कि एक अच्छे इंसान भी हैं ।उनमे देशप्रेम, राष्ट्रीयता, मानवीयता और अपने कर्तव्य के प्रति समर्पण के साथ साथ एक विशेष प्रकार की उच्च कोटी प्रतिबद्धता  उनके समूचे खेल जीवन मे दिखाई देती है । वे एक मिसाल हैं, चरित्र, सद्व्यवहार, शील, कर्मठता, कर्तव्य-बोध, खेल भावना, नेतृत्व, और टीम भावना के । 24 वर्षों के अपने अंतर राष्ट्रीय खेल जीवन मे कीर्तिमानों के शिखर पर स्थापति होकर भी उन्हें अहंकार या घमंड लेश मात्र भी छू नहीं सका। उनकी सरलता और सादगी, अपने साथी खिलाड़ियों ( कनिश्ष्ट और वरिष्ठ ) के प्रति आदर, स्नेह और प्रेमपूर्ण आत्मीयता का भाव अनुकरणीय तो है ही सबसे बढ़कर आज के स्वार्थी ईर्ष्यालु स्पर्धा जगत मे अकल्पनीय भी है । उन्होने अपनी दृष्टि केवल अपने खेल और राष्ट्रीय कर्तव्य पर ही केन्द्रितरखा । वे कभी किसी के द्वारा उन पर की गयी किसी भी तरह की टिप्पणी या आलोचना या निंदा  अथवा प्रशंसा से विचलित नहीं हुए । उन्हें कभी प्रेस या मीडिया ने प्रभावित नहीं किया । उन्होने कई बार इस सत्य को अपने साक्षात्कारों मे उजागर किया है की वे सदैव अपना ध्यान खेल पर रखते  हैं, उनके बारे में कौन क्या लिख रहा है, क्या कह रहा है, इस पर उन्होने कभी तवज्जोप नहीं दी । केवल क्रिकेट और क्रिकेट मात्र से जिसे अपरिमित असीमित प्यार हो वह कैसे इस खेल से अलग रह सकता है ? कल उन्होने अपनी इस चिंता को व्यक्त किया - उनके लिए क्रिकेट के बिना जीवन बिताना कठिन होगा। वे एक इतिहास पुरुष बन गए हैं, एक राष्ट्रीय धरोहर हैं वे। उनके लिए विश्व भर के बड़े से बड़े सम्मान बौने से लगते हैं। 24 वर्षों टका कोई भी खिलाड़ी अपने खेल के शीर्ष पर निरंतर सर्वोच्च स्थान पर नहीं बना रह सकता लेकिन  इस मास्टर ब्लास्टर ने इस अजूबे को सच करके दिखा दिया । क्रिकेट मे इनके द्वारा स्थापित प्रतिमानों के नजदीक भी पहुँच पाने की कल्पना करना भी दुस्साहस  ही कहलाएगा। सफलता की निरंतरता किसी भाग्यवान को ही नसीब होती है । सचिन के इस जुनून को समर्थन प्रदान करने मे उनके माता-पिता, भाई, कोच, उनका स्कूल, शिवाजी पार्क, और उनका परिवार ( पत्नी अंजलि ) का अप्रतिम योगदान है जिसे उन्होने अत्यंत  विनम्र भाव से स्वीकारा है ।
क्रीज़ पर अनेक बार उन्हें अंपायर के गलत फैसलों का शिकार बनना पड़ा, शतक के निकट पहुँचकर उन्हें अपना विकेट अंपायर के गलत निर्णय के कारण गंवाना पड़ा, फिर भी कभी विचलित नहीं हुए और न ही उन्होने कभी अंपायर या खेल प्रबंधन के खिलाफ अपने आक्रोश को व्यक्त नहीं किया और खेल भावना की अद्भुत मिसाल पेश की । विदेशी भूमि पर खेलाते हुए 194 रन के निजी स्कोर पर जब कप्तान ने पारी समाप्त की घोषणा की तो भी उन्होने कप्तान के इस निर्णय पर सवाल नहीं उठाया हालाकि उनके लिए दो शतक बनाने का यह सुयनहारा मौका कप्तान के निर्णय के कारण  खोना पड़ा था। ड्रेसिंग रूम मे वे सदैव अपने साथी खिलाड़ियों के लिए सदाचरण और अनुशासन के एक मिसाल रहे । हर खिलाड़ी, नया और पुराना ( वरिष्ठ ) उनके संग स्नेह और आत्मीयता का अनुभव करता है । युवा खिलाड़ियों को खेल के गुर सुखाना और उन्हें विषम परिस्थितियों मे प्रोत्साहित करना सचिन का असाधारण गुण है । उनके साथ बल्लेबाजी के ईईए उतरना हर खिलाड़ी के लिए गौरव और सम्मान का अवसर होता है । उनके साथी खिलाड़ियों ने उनके साथ सदैव  विशेष सम्मान के साथ ही व्यवहार किया है । केवल भारतीय ही नहीं विश्व भर के क्रिकेट खिलाड़ी उन्हें असाधारण सम्मान की नज़र से, एक मिसाल के रूप मे देखते हैं। ब्रायन लारा, मार्क वाग, स्टीवेन वाग,  ग्रेग चैपेल, इयान चैपेल, एलेन बार्डर, टोनी ग्रेग, विवियन रिचर्ड, क्लाइव लायड, रिकी पांटिंग, एडम गिलक्रिस्ट, ब्रेट ली, शेन वार्न, सनत जयसूर्या, संगकारा, महिला जयवर्धने, हेडली, विटोरी, इमरान खान, जावेद मियादाद, वकार यूनुस, शोएब अख्तर, वसीम अकरम, सुनील गावसकर, कपिलदेव, रवि शास्त्री,  चेतन चौहान, मदनलाल, कीर्ति आज़ाद, श्रीकांत, मोहिंदर अमरनाथ, पटौदी, फारूख इंजीनियर, सौरव गांगुली, राहुल द्राविड, वीवीएस लक्ष्मण, महेंद्रसिंह धोनी, वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर,हरभजन सिंह, जैसे महान खिलाड़ियों  के साथ साथ आज के भारतीय टीम का हर खिलाड़ी  उनके प्रति नतमस्तक है ।आज के अनेक उभरते क्रिकेटर उन्हें अपना गुरु मानते हैं। उन्होने अनगिनत खिलाड़ियों को अपनी तकनीक से प्रेरित किया है ।  क्रिकेट के सार्वकालिक महान डॉन ब्रेडामैन की प्रशंसा प्राप्त करने वाले वे एक महान खिलाड़ी हैं जिनके सम्मान मे उनकी मोम की प्रतिमा लंदन के मैडम टुस्साड संग्रहालय मे डॉन ब्रेडमैन की प्रतिमा के समकक्ष स्थापित की गयी है ।
इस महान खिलाड़ी को आज हम सलाम करते हैं । वे हमारी राष्ट्रीय धरोहर हैं । 

2 comments:

  1. आप बिलकुल सही कह रहे हैं..भारतीय क्रिकेट में सचिन का स्थान अग्रगण्य था और रहेगा |

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  2. वाकई ये बेहतरीन फिल्म है | दोनों चरित अभिनेता इसमे एक-दूसरे की होड़ लेते दिखाते है कि कौन बेहतरीन एक्टिंग कर सकता है | शाबाश इमरान !शाबाश सिद्दीकी...आपने the laste train ..हिंदी मूवी देखी है सर...लाजवाब फिल्म है वह भी...

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