Friday, July 20, 2012

राजेश खन्ना के प्रति

राजेश खन्ना का यूं जाना हिन्दी फिल्म जगत ही नहीं लाखों,  सिनेमा प्रेमियों के लिए उदासी और मायूसी का चिर स्मरणीय माहौल छोड़ गया। राजेश खन्ना एक ऐसे कलाकार थे जिनहोने अपने अभिनय से हर उमम्र के दर्शकों को उत्साहित किया, जीवन के प्रति एक नई आशा और उमंग को भर देने वाली उनकी अदाएं और उनका अंदाज, सिर्फ उनका ही अपना था। उनकी सारी फिल्में बहुत ही सुंदर, स्वस्थ और सुहावने गीतों से  सजे होते थे, जो कि हर  समय लोगों  को को ताजगी प्रदान करते हैं । उनका अभिनय और उनकी अदाकारी कभी न भूलने वाली है । फिल्मों मे उन्होने पहनावे की  एक नई शैली विकसित की  थी जिसका अनुकरण सत्तर के दशक से लेकर आज तक लोग करते हैं। वे एक नई परंपरा के सर्जक थे । ट्रेंड सेटर थे । उनका रोमांस देवानंद, राजकपूर और दिलीप कुमार के रोमांस के अंदाज से बहुत अलग था। वे स्त्री दर्शको के जितने  चहेते थे उतने ही पुरुष वर्ग के भी । उनके सभी पात्र रोमांटिक होते थे और कहीं भी उनकी फिल्मों हिंसा के लिए जगह न थी ।  उन्होने कभी कोई एक्शन फिल्म नहीं  की । 180-185 के लगभग फिल्मों मे उन्होने अभिनय किया किन्तु उनकी सारी फिल्में सामाजिक-प्रेम ( सोशल रोमांस ) से युक्त  हल्की मनोरंजन से भरी फिल्मे रहीं । उनके निधन पर देश भर मे जिस तरह की प्रतिक्रिया  देखी गयी वह कभी किसी फिल्मी सितारे के निधन पर नहीं देखी गयी । सारे टीवी चैनलों ने  मीडिया ने (अंग्रेजी और भारतीय भाषाओं के ) निरंतर उनके जीवन और उनकी फिल्मों को याद दिलाया। केवल उन्हीं पर केन्द्रित प्रसारण लगातार एक रात और दो दिनोंतक्छलता रहा। यह अभूतपूर्व लोकप्रियता की एक बहुत बड़ी मिसाल है और साथ ही देश वासियों का उनके प्रति प्रेम का प्रमाण है । विडम्बना यही रही कि ऐसे रोमांटिक व्यक्तित्व  का जीवन एकाकी ही रहा । विवाह के कुछ ही समय बाद उनका पत्नी डिम्पल से बिछोह  हुआ तब से जीवन के अंतिम पड़ाव तक उन्होने घातक अकेलेपन के सहारे ही जीवन बिताया । अंत समय मे पत्नी, पुत्री और जामाता का संबल अवश्य प्राप्त हुआ लेकिन इस रोमांटिक कलाकार का जीवन कितना आरोमांटिक रहा । उनके निधन पर जिस तरह से बालीवुड के अतीत,  वर्तमान और भविष्य के छोटे - बड़े सितारे और कलाकार इकट्ठा हुए उसे देखकर फिर से मनुष्यता के प्रति एक नई आस जाग गयी है । एक महान, संवेदनशील कलाकार के प्रति इस सामूहिक श्रद्धांजलि से बढ़कर और कोई दूसरी सौगात  नहीं हो सकती ।
एम वेंकटेश्वर .