Wednesday, January 30, 2013

विश्वरूपम के प्रदर्शा पर आपत्ति क्यों और उस पर इतना बवाल क्यों ?

कमल हासन द्वारा निर्देशित, निर्मित और अभिनीत नई फिल्म ' विश्वरूपम ' पर  मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगाकर कुछ राज्यों मे प्रदर्शन से रोक लगा दी गयी है । सबसे बड़ी  विडम्बना तो यही  है कि तमिल दर्शकों के सर्वाधिक लोकप्रिय और चहेते अभिनेता की अपनी फिल्म उनके ही राजी मे प्रतिबंधित हो गयी है, इस स्थिति की कल्पना कभी कमल हासन ने कभी नहीं की होगी । ' विश्वरूपम ' फिल्म पर मीडिया मे जो खबरे आ रहीं हैं उसके अनुसार कुछ  कुछ  मुस्लिम समुदायों को फिल्म के कुछ  हिस्सों
( दृश्यों ) को लेकर आपत्ति है । लेकिन सच्चाई यह है कि इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया है साथ ही ( फिल्म के निर्माता, निर्देशक और नायक ) कमल हासन ने  उन तथाकथित प्रसंगों के संबंध मे अपना स्पष्टीकरण भी दिया है जो कि  तर्क सम्मत है । इस फिल्म का प्रीमियर अमरेकीया मे धूम धाम से हुआ और देश के अन्य हिस्सों मे भी इसका प्रदर्शन बिना किसी रुकावट अथवा विरोध के हो रहा है ।  हमारे देश मे फिल्म सेंसर बोर्ड फिल्म निर्माण के पश्चात उसके कंटेन्ट को देखकर पूरी तरह से संतुष्ट होकर ही उसे प्रदर्शन की अनुमति प्रदान करती है इसलिए किसी व्यक्ति अथवा समुदाय को आपत्ति नहीं करना चाहिए ।
लोकतन्त्र मे किसी भी मुद्दे पर असहमतियाँ स्वीकृत होती हैं लेकिन हिंसात्मक विरोध अथवा हमले स्वीकार्य नहीं है । फिल्म अभिव्यक्ति का  एक कलात्मक  माध्यम है । इसके प्रदर्शन की पूरी आज़ादी लोकतान्त्रिक समाज मे निर्विरोध होती है । भारत एक लोकतान्त्रिक राष्ट्र है जहां हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता है। अभिव्यक्ति के  लिए  व्यक्ति किसी भी माध्यम को चुन सकता है ।
फिल्म एक सार्वजनिक प्रदर्शन का प्रभावशाली जरिया है जो मनोरंजन का भी एक महत्वपूर्ण स्रोत है । विगत मे भी कुछ फिल्मों के प्रदर्शन पर ऐसे ही आरोप लगाए गए और काफी वाद-विवाद के बाद उन्हें कुछ फेर बादल के साथ प्रदर्शित  किया गया। कोई भी व्यक्ति किसी भी अभिव्यक्ति अथवा विचार से असहमत हो सकता है। अपनी असहमति को दर्ज कराने के बहुत सारे संवैधानिक उपाय हैं, जिनके सहारे विरोध दर्ज इया जा सकता है और समस्या का समाधान किया जा सकता है, किन्तु एक तरफा हमले का खौफ पैदा कर इस तरह जनतान्त्रिक अभिव्यक्ति के अधिकार पर कुठाराघात नहीं किया जा सकता । इस तरह के सामुदायिक प्रतिरोधों का संगठित रूप से सामना करना चाहिए ।आज कमल हासन बहुत ही आहत मुद्रा मे देश को छोड़ने की बात भी कर रहे हैं । धर्म निरपेक्ष समाज की परिकल्पना मात्र एक दिखावा ही रह गयी
है । इस प्रकार के मुद्दे आज देश मे अनावश्यक तनाव पैदा कर रहे हैं । इस तरह हम देख रहे हैं कि फिल्मों के  रिलीज़ मे भी राजनीति खेली जा रही है, जो कि देश के हित मे नहीं है ।

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