चाहे फ्रांस हो या, बेल्जियम या भारत हो या औ कोई भी राष्ट्र या समाज, कहीं भी अमानवीय नरसनहार स्वीकार्य नहीं है। संसार का का कोई भी धर्म और महाजब, जो ईश्वर मे विश्वास करता हो वह कभी किसी प्राणी की हत्या नहीं कर सकता, फिर तो मनुष्य का संहार और मानवता का संहार करने की कल्पना भी नहीं कर सकता । धर्म के नाम पर केवल किसी एक महाजब को अन्य लोगों की आस्था से के विरुद्ध अपनी बात मनवाने के संकुचित इरादे से नर हत्या करना हर धर्म मे पाप है और ऐसा करने की अनुमति कोई भी धर्म नहीं देता । कुछ विकृत मानसिकता के हिंसावादी समुदाय केवल मानसिक कुंठा और चारित्रिक दुर्बलता से ग्रस्त होकर, जीवन से हारकर, दिशाहारा और दिशा हीं होकर,जीवन के उद्देश्य से भटककर कुछ गलत ताकतों के हाथों का खिलौना बनकर दुनिया में खून की होली खेल रहे हैं । जब शेर नरभक्षी हो जाता है उसे केवल मनुष्य का शिकार करने मे ही आनंद आता है । वही स्थिति इन आतंकी संगठनों की है जिन्हेंधर्म और ईशर तत्व का अर्थ ही नहीं मालूम है । ये अबोध और दुर्बल मानसिकता के हीं भावना रखने वाले मूर्ख और बुद्धिहीन लोग हैं जिन्हें मानवता और मानवीय मूल्यों मे आस्था नहीं है । ये मनुष्य को पशु से भी हीं मानते हैं । इस्लाम के नाम पर ये सब कलंक हैं । जिहाद की गलत व्याख्या कर, कुछ भटके हुए धर्म प्रचारकों से प्रभावित होकर विध्वंस के हथियार थाम रहे हैं और आत्महंता प्रयासों से सारी मानवता के लिए घातक हो गए हैं । इन आतंकी शक्तियों को किसी भी हाल मे रोकना होगा । समूचे विश्व को एक होना होगा, आपसी मतभेदों को भूलकर विश्व के सभी देशों को एकजुट होकर इस मानवता विरोधी हिंसा के नर-राक्षसों को नेस्तनाबूत कर देना होगा । इसके लिए एकता और दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता है । अब समय आ गया है जब कि विश्व को बचाने के लिए मानव समुदाय को एकता के सूत्र में जुड़ जाना होगा । तभी इस विध्वंस और नरमेध को रोका जा सकता है । विभाजित होकर इस तरह की बर्बसामूहिक हिंसा का सामना करना कठिन है ।
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