आखिरकार भारतीय राजनीति मे एक क्रांतिकारी परिवर्तन होकर ही रहा । एक नई लहर सारे भारत मे परिवर्तन के लिए उठी और सारे देश ने एकमत होकर बहुत बरसों बाद एक एक ही राजनीतिक दल को सरकार बनाने के लिए चुना । यह लोकतान्त्रिक प्क्रइया के माध्यम से संभव हो सका । देश की जनता ने इस बार बहुत हू बुद्धिमानी और सूझबूझ के साथ अपनी सरकार चुनी है । नरेंद्र मोदी के नेतृत्व मे राजनाथ सिंह, रविशंकर प्रसाद, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, वेंकय्या नायडू, स्मृति ईरानी, उमा भारती जैसे ऊर्जावान, नेतागण नई सरका के गठन मे भागीदार बन रहे हैं, यह देश के लिए शुभ संदेश है । इन सबके साथ ( पीछे ) लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गज और वरिष्ठ नेता इस दल के सलाहकार और संरक्षक होंगे तो देश सचमुच सही दिशा मे आगे बढ़ेगा । आज देश के सामने ( सरकार के सामने ) गंभीर चुनौतियाँ हैं । अलगाव वादी ताक़तें देश की एकता को तरह तरह के विवादों से तोड़ने के लिए पूरी तरह से सक्रिय हैं । देश वासिऊओं को इस मौजूदा सरकार मे पूरी निष्ठा और आस्था रखनी होगी । सरकार का साथ देना होगा । सरकार ने पहले ही दिनसे काम शुरू कर दिया है । मंत्रालयों के आबंटन मे कहीं कहीं क्षमतानुसार और शैक्षिक अर्हताओं के मुताबिक भले हीं हुए हों, लेकिन यह सरकार या नेतृत्व की विफलता या असावधानी नहीं मानी जानी चाहिए जैसा की विपक्ष के लोग हल्ला मचा रहे हैं । नई सरकार को काम सुरू करने देना चाहिए । हमें गर्व है की मोदी जी ने प्रथम दिन ही अंतराष्ट्रीय धरातल पर एक महत्वपूर्ण निर्णया लेकर सार्क देश के राष्ट्राध्यक्षों को अपने शपथ ग्रहण समारोह मे आमंत्रित किया । यह एक बहुत बड़ा राजनीतिक संकेत है । मैत्री और सद्भावना का । अभी काफी समय देना होगा । धीरे धीरे स्थितियाँ सुधारेंगी। मंत्रीगन अपने अपने मंत्रालय संभालेंगे । यह संदेश जनता तक स्पष्ट पहुंचा है की इस सरकार मे कोई भी मंत्री अठवाजनाप्रतिनिधि भ्रष्टाचार और अनैतिक रास्ते पर चलाने की सोच भी नहीं सकता । अब देश भ्रष्टाचार मुक्त होगा । युवा पीढ़ी ने आस लगा राखी है की अब समय आगया है की उनके सपने योग्यतानुसार उपलब्धियों के द्वारा पूरे होंगे । देश का आर्थिक तंत्र सबसे प्रमुख है । इस मंत्रालय के लिए अरुण जेटली जी बहुत ही उपायुक्त व्यक्ति हैं। कानून और वित्त मामलों के वे जानकार हैं और पिछली सरकार की गलतियों से सभी वरिष्ठ नेता वाकिफ हैं । इसीलिए बहुत जल्द उन समस्याओं का निवारण होगा, ऐसी मेरी आशा है और विश्वास भी है । शिक्षा के क्षेत्र मे ( उच्च शिक्षा ) जो अनियमतताएँ हो रहीं हैं उन्हें ठीक करना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए । सुश्री स्मृति ईरानी की कार्यक्षमता और कार्यशैली पर हमारा पूरा विश्वास है की वे ईमानदार नौकरशाहों की मदद से उच्च शिक्षा मे व्याप्त धांधलियों को दूर करेंगी ऊउर एक सस्थ एवं स्वच्छ प्रशासन हमें प्रदांकरेंगी । कुलपतियों की नियुक्तियां जिस भ्रष्ट प्रणाली ( पद्धति ) से होती रही है उस पर अंकुश लगाना बहुत आवश्यक है । नए विश्वविद्यालयों के खोलने की घोषणा जिस जल्दबाज़ी और अदूरदर्शिता से किया गया है उस पर विचार होना चाहिए । बिना आधारभूत ढांचे के ऐसे संस्थानों को नहीं शुरू करना चाहिए । देश मे ईमानदार और कुशल एवं सक्षम शिक्षाविदों की कमी नहीं है लेकिन उन्हें दरकिनार कर दिया गया है और बहुत ही भ्रष्ट, कौशल विहीन अयोग्य लोगों का चयन ( गलत तरीकों से ) किया गया है अभी तक । इस स्थिति पर तत्काल विचार होना चाहिए और आगे की नियुक्तियाँ कम से कम देश और समाज के हित मे योगी व्यक्तियों का चयन कर किया जाना चाहिए ।
सरकारी स्कूलों और कालेजों की हालत बहुत ही दयनीय है । शिक्षकों के सभी रिक्त ( हजारों मे हैं ) तत्काल भरे जाएँ । स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक । सभी राज्यों को बराबर का अनुदान उपलब्ध होना चाहिए । सेवा निवृत्त होते ही उनके स्थान फौरन भरे जाने चाहिए जो की पिछले तीस वर्षों से नहीं रहा है ( राज्यों मे खासकर ) । शिक्षा के क्षेत्र मे नियुक्तियाँ रिश्वतख़ोरी और भ्रष्ट प्रणालियों का शिकार हो गईं हैं । जिसकी लाठी उसकी भैंस- वाली कहावत यहाँ पूरी तरह लागू होती है । बाहुबली, धनबली लोग अपने प्रभाव से कई उच्च पदों को खरीद रहे हैं । यह गुहार आम आदमी की है । भा जा पा के प्रबुद्ध नेता गण इन बातों पर विचार करें और क्षेत्र के विशेस के अनुभवी लोगों को उस क्षेत्र से ढूंढ ढूंढ कर सरकार के संचालन मे उन्हें लावेन और उनकी मदद लें तो थी लोगों मे आशा जागेगी ।
सरकारी स्कूलों और कालेजों की हालत बहुत ही दयनीय है । शिक्षकों के सभी रिक्त ( हजारों मे हैं ) तत्काल भरे जाएँ । स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक । सभी राज्यों को बराबर का अनुदान उपलब्ध होना चाहिए । सेवा निवृत्त होते ही उनके स्थान फौरन भरे जाने चाहिए जो की पिछले तीस वर्षों से नहीं रहा है ( राज्यों मे खासकर ) । शिक्षा के क्षेत्र मे नियुक्तियाँ रिश्वतख़ोरी और भ्रष्ट प्रणालियों का शिकार हो गईं हैं । जिसकी लाठी उसकी भैंस- वाली कहावत यहाँ पूरी तरह लागू होती है । बाहुबली, धनबली लोग अपने प्रभाव से कई उच्च पदों को खरीद रहे हैं । यह गुहार आम आदमी की है । भा जा पा के प्रबुद्ध नेता गण इन बातों पर विचार करें और क्षेत्र के विशेस के अनुभवी लोगों को उस क्षेत्र से ढूंढ ढूंढ कर सरकार के संचालन मे उन्हें लावेन और उनकी मदद लें तो थी लोगों मे आशा जागेगी ।
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