अंतत: चंद्रमौलेश्वर प्रसाद विषम स्थितियों में काल से निरंतर लड़ते लड़ते, मृत्यु से आँख मिचौनी खेलते हुए, हर क्षण जिजीविषा को जीवित रखते हुए, भयानक यातना को सहते हुए, उत्कट जुझारूपन के साथ साहसी योद्धा बनकर मृत्यु का आलिंगन किया . हिंदी जगत से चंद्रमौलेश्वर प्रसाद का हमेशा हमेशा के लिए इस लीलामय संसार से प्रस्थान एक दुखद घटना है . हैदराबाद का साहित्य जगत आज अपार शोक में डूब गया है . चंद्रमौलेश्वर प्रसाद का इस तरह जाना, मार्मिक और ह्रदय विदारक है . वैसे इधर कुछ समय से उनके तेजी से गिरते स्वास्थ्य के प्रति परिजन एवं आत्मीय मित्र चिंतित रहे। पक्षाघात से पीड़ित रहकर भी चंद्रमौलेश्वर जी में एक विशेष बौद्धिक हठधर्मिता मौजूद थी . अचेतन और अर्द्ध चेतन मानसिक स्थितियों में भी चंद्रमौलेश्वर जी की अंत:चेतना सतत सक्रिय दिखाई पड़ती थी . यह एक अद्भुत चमत्कारी अविश्वसनीय शक्ति उनमें विद्यमान थी जो उनकी जिजीविषा को सींच रही थी . उसी चमत्कारी आत्मविश्वास के सहारे ही उन्होंने अपने अंत को कुछ देर और दूर तक टाले रखा . आज विश्वास ही नहीं होता कि अब चंद्रमौलेश्वर जी हमारे बीच नहीं रहे . उनकी उपस्थिति का आभास अभी भी हो रहा है . हैदराबाद के साहित्य जगत के अभिन्न अंग रहे वे . बरसों से अनेकों स्वैच्छिक संस्थाओं से प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से आजीवन जुड़े रहे . एक निस्संग व्यक्तिव के वे धनी रहे . अजातशत्रु थे वे . हैदराबाद की सभी साहित्यिक संस्थाओं के वे लोकप्रिय सदस्य थे . बैंक की नौकरी से स्वच्छन्द सेवा निवृत्ति लेकर हिंदी की सेवा में सम्पूर्ण रूप से जुट गए थे . विदेशी साहित्य का हिंदी में और हिंदी साहित्यिक विधाओं का अंग्रेजी अनुवाद करने में सिद्ध हस्त थे। एक सफल अनुवादक के रूप में चंद्रमौलेश्वर जी को अखिल भारतीय पहचान प्राप्त हो चुकी थी . हिंदी सी सभी प्रमुख पत्रिकाओं में चंद्रमौलेश्वर प्रसाद का नाम बहुत ही लोकप्रिय रहा है . चंद्रमौलेश्वर प्रसाद एक प्रभावशाली समीक्षक के रूप में जाने जाते हैं. हिंदी में इंटरनेट के माध्यम से ब्लॉग लेखन में वे अत्यधिक सक्रिय रहे . हर तरह के ब्लॉग लेखकों के लेखन को बड़े ही उत्साह के साथ तत्काल अपनी टिप्पणी से अवगत कराते थे . उनका प्रेम और स्नेह सभी साहित्य बन्धुओंको सामान रूप से उपलब्ध हुआ करता था . आज एक स्नेहिल साहित्य बंधु हमसे बिछुड़ गया .
उस महान आत्मा को अश्रुपूरित नेत्रों से हम भाव भीनी श्रद्धांजलि समर्पित करते हैं .
उस महान आत्मा को अश्रुपूरित नेत्रों से हम भाव भीनी श्रद्धांजलि समर्पित करते हैं .
सच में वे एक महान योद्धा ही थे। उनकी जिजीविषा अदभूत थी। उनकी स्मृतियाँ निश्चित ही हमें प्रेरणा देती रहेंगी, लेकिन इसके बावजूद उनकी अनुपस्थिति हमें बेचैन करती रहेंगी.....
ReplyDeleteसच में वे एक महान योद्धा ही थे। उनकी जिजीविषा अदभूत थी। उनकी स्मृतियाँ निश्चित ही हमें प्रेरणा देती रहेंगी, लेकिन इसके बावजूद उनकी अनुपस्थिति हमें बेचैन करती रहेंगी.....
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