Thursday, September 10, 2009

विदेशमंत्री की शाही विलासिता

धन्य है हमारे देश के राजनेता जो मंत्री की कुर्सी पर बैठते हैं . मंत्री बनते ही जैसे उन्हें जनता के धन को खुले आम लूटने की छूट मिल जाती है. क्या वे इतने भोले हैं कि वे जनता को भी अपनी ही तरह अबोध और पोंगा पंडित समझते हैं ? जैसे बिल्ली आंख बंद करके दूध पीती है और समझती है कि कोई उसे नहीं देख रहा है . हमारे ग्रेट विदेश मंत्री श्री एस एम् कृष्ण जी भी ऎसी ही बिल्ली बने हुए हैं इन दिनों .उन्हें किसी की परवाह नही है। रहते पंच सितारा या सप्त सितारा होटल में , दिल्ली में - ऑन ड्यूटी - और जो ऑन ड्यूटी होता है उसे पूरी छूट है कि वह शासन तंत्र का उपयोग अपनी इच्छानुसार कर सकता है। ऑफ कोर्स यह लोकतंत्र है। भारत का गरीब लोकतंत्र । इस गरीब देश का विदेशा मंत्री कैसे देश की गरीबी को सीने से लगाए और क्यों वह मामूली से सरकारी बंगले में निवास करे । वह विदेश मंत्री है इसलिए उसे विदेशी शानो -शौकत से जिंदगी गुजारने का पूरा पूरा हक़ है . हमारे महा मंत्री अपना यही विशेषाधिकार को अमल में ला रहे हैं । देश की इज्ज़त का सवाल है , सर जी, विदेशी मेहमानों की भी तो आवभगत सरकारी खर्चे पर करनी पड़ती है , इसके लिए उनके पास सही आधार भूत ढांचा भी तो होना चाहिए । इसी की तो कृष्णा साहब जुगाड़ कर रहे थे । जनता ने और मीडिया वालो ने क्यों उन्हें टोका ?
अगर वे बुरा मान गए तो भारत की सारी विदेश नीति गडबडा जायेगी . पड़ोसी दोस्तों से संबंध बिगड़ जायेंगे और देश का माहौल भी ख़राब हो सकता है। अन्तर राष्ट्रीय संबंधो को पुख्ता बनाने के लिए हमारे विदेश मंत्री को ऐशो - आराम का माहौल मुहैया कराना भारत की जनता का प्राथमिक दायित्व है। इसे जनता को नही भूलना चाहिए -शायद . अखबार में इस समाचार को पढ़कर बहुत बुरा लगा। टी वी के समाचार चैनलों में भी कल रात से ही यह समाचार पसारित हो रहा था। बहुत शर्मनाक व्यवहार है मंत्री महोदय का और उनके मातहत (राज्य ) मंत्री का भी ( शशि थोरूर का ) क्या चरित्र पाया है इन लोगों ने । एक तो उनमें से आई ऐ एस /आई ऍफ़ एस अधिकारी भी हैं.
आभिजात्य वर्ग के लोग से दिखते हैं लेकिन इतने छिछोरे होंगे यह मालूम न था . उन्हें इस बात का भी शौउर न रहा कि देश की वर्त्तमान आर्थिक हालत खस्ता है, देश के अधिकांश हिस्सों में अकाल और दुर्भिक्ष का साया मंडरा रहा है, आम आदमी को दो वक्त की रोटी नसीब नही हो रही है। पीने के पानी की भारी किल्लत है ( लगभग सभी शहरों और गांवो में )। ऐसे संकट के समय में ये जनता के प्रतिनिधि सारी नैतिकता का हनन करके निर्लज्ज बनकर राजधानी के सबसे आलीशान होटल ' आई टी सी मौर्या' के प्रेसिडेंशियल सूट में रहने का साहस जुटा लेते हैं . ये जिस सूट में रह रहे हैं वह सामान्यतः राष्ट्राध्यक्शो और अतिविशिष्ट मेहमानों के लिए रखे जाते हैं। समाचार पत्रों के माध्यम से भी यह भी मालूम होता है कि इसी सूट में जोंर्ज बुश और राष्ट्रपति क्लिंटन भी रह चुके हैं । ऎसी व्यवस्था के किराए नही बताये जाते, सरकार ही उनका भुगतान करती है। वित्त मंत्री के द्वारा इन दोनों मंत्रियों की जब खिंचाई की गयी तो इन लोगो ने एक और सफ़ेद झूठ बोल दिया कि वे अपने खर्चे पर उस होटल में ठहरे हुए हैं . अनुमान है कि उस कमरे का किराया एक लाख रुपये प्रति रात्रि है। मंत्रियों की विलासिता की और क्या सीमा हो सकती है ? सरकार एक तरफ़ किसानो की दू;स्थिति पर चिंता व्यक्त कर रही है दूसरी तरफ़ उनके मंत्री गण जनता के पैसें पर गुलछर्रे उडा रहे हैं । ये कैसा न्याय है ? सरकार कब ऐसे ऐयाश राजनीतिको को सज़ा देगी जिससे वे आगे ऎसी हरकत कराने से बाज आयें । ऎसी हरकत करने की कल्पना भी न कर सकें . जनता तो केवल उम्मीद ही कर सकती है। जनता का आक्रोश सरकार और राजनीतिक दलों तक तो ज़रूर पहुंचा है. अब देखना है कि इसका असर क्या होता है ? इन मंत्रियों को अपने किए पर जनता से माफी मांगनी चाहिए और अपने व्यवहार के लिए खेद जताना चाहिए. ( कम से कम )। मंत्रियों के इस गैर जिम्मेदार रवैये से जनता बहुत आहत हुई है और नाराज़ भी है.

2 comments:

  1. हमारे नेता अब परजीवी बन गए हैं, उन्हें जनता की चिंता से अधिक जनता के पैसे पर ऐश करने का चस्का लग चुका है... और जनता तो बेज़ुबान है ही!!!

    ReplyDelete
  2. sir aapne mantrigan ki vilasita ki jo dasta vyakt ki hai wo unehai sayad virasat me hi mili hai.............aur janta ko chuppi bhi.

    ReplyDelete