Tuesday, November 17, 2015

पेरिस में आतंकी हमले : मानवता को शर्मसार करने वाली कायरतापूर्ण बर्बरता है

पेरिस मे हुए आतंकी हमले ने सारी दुनिया को हिला कर रख दिया है । आखित मनुष्यता किस दिशा में जा रही है ? मनुष्य सभ्यता का क्या गंतव्य है ? निर्दोष और निहत्थे नागरिकों की अमानुषी हत्या से कोई भी समनूह कुछ नहीं हासिल कर सकता । कोई भी विचारधारा, चाहे वह अतिवादी हो या उदारवादी, धार्मिक, सांप्रदायिक हो, या राजनीतिक अथवा दार्शनिक, हिंसा से मनुष्य  और मनुष्यता  नष्ट हो जाएगी, सारी दुनिया वीरान हो जाएगी फिर जब कोई नहीं बचेगा तब ये तथाकथित हमलावरों का कौन सा राज स्थापित होगा और वे किन पर राज करेंगे । आई एस आई एस (ISIS ) की मंशा कभी पूरी नहीं हो सकती, जब तक की वह अपने विचारोंकों संवाद के रूप मे दुनिया के सामने नहीं प्रस्तुत करता । इस तरह के आतंकवाद का सामना करें के लिए सारी दुनिया को एकजुट होकर आपसी राजनीतिक वैचारिक मतभेद को ताक पर रखकर कोई स्थाई और कारगर समाधान तलाशना होगा । खून का बदला खून से लेना बहुत आसान है किन्तु यह हिंसा को और अधिक बढ़ावा देगा,जैसा कि हो रहा है । मानवता मर रही है । निर्दोष लोग व्यर्थ मे मारे जा रहे हैं । इस तरह के खिफ़्या हमलों को रोक पाना किसी भी सरकारी तंत्र के लिए कठिन है चाहे वह सरकार कितनी भी ताकतवर और चुस्त क्यों  न हो । यूरोपीय देश सभी अति सम्पन्न और समर्थवान देश हैं, जहां की सैन्य और पुलिस व्यवस्था तीसरी दुनिया के गरीब देशों के सैन्य व्यवस्था से कहीं अधिक विकसित और समुन्नत हैं । इन देशों का खुफिया तंत्र भी अति विकसित है । फिर भी ऐ। से हमलों के बारे में इन्हें भनक भी नहीं मिल रही है । यह एक चुनौती है । यह चुनौती सभी देशों के लिए है । भारत जैसे देश के लिए यह और भी बड़ी चुनौती हो सकती है ।
पेरिस मे मारे गए नागरिकों के प्रति सारा विश्व शोक संवेदनाएँ व्यक्त कर रहा है, जो कि आवश्यक है । हम सब दुखी हैं और चिंतित भी हैं । यह दुख की घड़ी है जब सारी मानवता को एक हो जाना चाहिए । यह हमला मानवता पर हुआ है । पेरिस यूरोपीय सभ्यता और  संस्कृति का केंद्र माना जाता है । यहाँ हर धार्मिक और सांस्कृतिक समुदाय के लोग निवास करते हैं । यह एक सु सम्पन्न देश  है । कला, संस्कृति, फैशन, साहित्य का प्राचीन, मध्य युगीन  और आधुनिक का संगम स्थल है ।  ऐसी सांस्कृतिक नागरी के शांत जीवन के ताने बाने को तार तार कर देना अत्यंत पीड़ादायक है । पेरिस वासियों के दुख में हर कोई शामिल है । इसमें कोई संदेह नहीं । ऐसे नर मेध की निंदा हम सब कड़े शब्दों मे निंदा करते हैं और खंडन भी करते हैं । भारत एक शांतिप्रिय देश है जहां की संस्कृति भी पेरिस की तरह ही सम्मिश्रित संस्कृति है ।  सहनशीलता और सहिष्णुता मे भारतीय संस्कृति बेजोड़ रही है । इसे बनाए रखना है । 

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