Saturday, December 26, 2009

नफ़रत के बीज बोना सबसे आसान काम है , मैत्री के पौधे को सींचना सबसे कठिन चुनौती है

राजनीतिक कूट नीति आम जनता में सत्ता की राजनीति खेलने के लिए लोगों में आपसी भेदभाव पैदा करती है । आज जो भी राजनीतिक आन्दोलन हो रहे हैं उन सबके पीछे राजनेताओं की सत्ता प्राप्त करने की ही होड़ लगी हुई है । केवल सत्ता की राजनीति है यह सब। चाहे वह कोई भी राजनीतिक दल हो आज सब सत्ता की ही राजनीति खेल रहे हैं और वह भी जनता के अधिकारों के एवज में .जाति, धर्म, कुल, प्रांत, क्षेत्र, स्थानीयता, भाषा, गांव और शहर आदि के धरातल पर लोगों को बांट बांट कर राजनेता सता को हासिल करने की प्रक्रिया को ही अपनी जीवन का उद्देश्य मान रहे हैं। लोगों में तरह तरह के विभेद करना ही इन राजनेताओं का धंधा है । निर्दोष, भोलीभाली जनता इनके जाल में फंसकर अपना सब कुछ इन राजनेताओं को सौंप देती है, इन पर भरोसा करती है कि ये जनता की समस्याएम सुलझा देंगे पर उन्हें अंत में निराशा ही हाथ आती है .
आज का दौर सामाजिक और राजनीतिक विखंडन का क्लिष्ट दौर है। विखंडन की ही राजनीति चल रही है। जनता के जीवन के साथ राजनेता राजनीति कर रहे हैं । राजनीतिक समस्याओं का राजनीतिक समाधान बातचीत के माध्यम से निकालने के बदले, जनता में फूट डालकर, उन्हें आपस में लड़वा रहे हैं, यह निंदनीय और अस्वीकार्य है. राजनीतिक आतंकवाद -साम्प्रदायिक आतंकवाद से अधिक खतरनाक होता है . इसे आज के राजनेताओं को समझना चाहिए । आन्ध्र प्रदेश की राजनीति इन दिनों कुछ इसी राह पर चल पड़ी है, यह चिंता का विषय है। सारे राजानेता ( सभी डालो के ) कन्फ्यूज्ड मानसिक स्थति में हैं । विभ्रमित और दिग्भ्रमित हैं। केवल सत्ता होड़ में
विचारधारा, सिद्धांत और नैतिक मूल्यों को त्यागकर महज सत्ता हासिल करने के चक्कर में पड़ गए हैं । जनता कहां है ?

2 comments:

  1. क्या अब भी समय नहीं आया है कि शिक्षा क्षेत्र को राजनीति से अलग रखा जाय। शिक्षा के नाम पर हास्टल में राजनीतिक चक्र चलाए जाते हैं और अधिकारी भी भय से कुछ नहीं कर पाते!!!!

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  2. धर्म-भाषा-जाति-दल का आजकल आतंक है.
    इन सभी का दुर्ग टूटे - एक ऐसा युद्ध हो!!

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