Tuesday, February 12, 2013

विश्वरूप कमाल हासन की अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड की जासूसी एक्शन थ्रिलर

कमाल हासन द्वारा निर्मित भारी बजट ( 99 करोड़ लागत से बनी ) विवादास्पद फिल्म जो तीन भाषाओं मे बाजार मे उतारी गयी ( हिंदी, तेलुगू और तमिल ) एक एक्शन, सफाई थ्रिलर है एस्पियोनेज से भरपूर। इसका कैनवास बहुत व्यापक है। अफगानिस्तान और  अमेरिका मे ही इसकी पूरी शूटिंग हुई है । फिल्म का कथानक बहुत ही सपाट है । हिंसा के दृश्य अतिरंजित और वीभत्स पूर्ण हैं । वास्तव मे यह फिल्म अफगानिस्तान मे पल रही एक पूरी जिहादी  पीढ़ी और उसके सरगाने ( राहुल बॉस ) द्वारा अमेरिका से अफगानिस्तान पर नेटो के हमलों  का बदला लेने के क्रूर और हिंसक कारनामों की दास्तान है । कमल हासन  ( रा का एजेंट ) अमेरिका मे  अफगानिस्तान के खूंखार आतंकवादी ( जिहादी ) उमर ( राहुलबोस ) के द्वारा अमेरिका मे न्यूक्लियर बम के विस्फोट करने के षडयंत्र को नाकाम कर उसे कानून के दायरे मे लाने के प्रयास मे विफल हो जाता है किन्तु वह उस बम को फटने से रोक लेता है। यह फिल्म मूलत: कमल हासन ने अपने अभिनय कौशल की चमत्कारी को अपने ढंग से अपनी शर्तों पर प्रदर्शित करने के लिए निर्मित की है । कमल हासन का अभिनय - एक जासूस के रूप मे खतरनाक जिहादियों के बीच रहते हुए उनके रहस्यों का पता लगाकर जिहादियों की शैली मे नर मेध करने की कलाओं से लैस होकर पूरे फिल्म मे त्राहि त्राहि मचा देता है। कमल हासन के एक्शन सीन बहुत ही रोमांचक और सनसनीखेज हैं । यह हॉलीवुडनुमा फिल्म है जो पूरी तरह उसी शैली मे निर्मित है । स्टंट्स सारे हॉलीवुड की तर्ज पर हैं।  न्यू जर्सी की सड़कों पर कार चेज़ के दृश्य  हॉलीवुड की जासूसी थ्रिलर को बरबस सामने ले आते हैं ।
फिल्म के प्रारम्भ मे कमल हासन का कथक नृत्य के गुरु का नपुंसक ( औरताना ) अंदाज़ प्रशंसनीय है । कमल हासन की असली भूमिका फिल्म के प्रारम्भ से पंद्रह मिनट बाद शुरू होती है । फिल्म यह हिस्सा मनोरंजक और रोचक है । कथक नृत्य भंगिमाओं मे कमल हासन खूब सजे हैं और बहुत ही मौलिक हैं ।
कमल हासन ने इस फिल्म मे अपनी नृत्य कला का प्रदर्शन भरपूर किया है जो की स्वांत: सुखाय ही कहा जाएगा ।  फिल्म का अंत अधूरा  है क्योंकि कमल हासन को इसका दूसरा भाग भी परदे पर लाना है इसीलिए अंत मे जिहादी सरगना उमर ( राहुल बोस ) अमेरिका और भारत दोनों की खुफिया एजिंसियों के हाथोंसे बचाकर अफगानिस्तान भाग जाने मे सफल हो जाता है।
फिल्म की एडिटिंग दोषपूर्ण है । दृश्यों का क्रम और संयोजन दर्शकों को गुमराह करता है । अफगानिस्तान के बीहड़ों का फिल्मांकन सराहनीय है । एक बात अंत तक स्पष्ट नहीं हो पाई की कमल हासन कहना क्या चाहते हैं ? इस फिल्म का उद्देश्य क्या है - यह असपष्ट ही नहीं बल्कि दिशाहारा है या यूं कहें की फिल्म का कोई लक्ष्य या उद्देश्य ही नहीं है सिवाय अफगानिस्तान मे व्याप्त हिंसा और आतंक को पर पूरी वीभत्सता के साथ दिखाने के । अफगानिस्तान मे सक्रिय जिहादी दलों की गतिविधियों का अंदाजा इस फिल्म को देखकर लगाया जा सकता है। कमल हासन ने फिल्म मे उर्दू, पश्तो, अरबी और अंग्रेजी भाषाओं का इस्तेमाल देश,काल और पात्रों के अनुरूप किया/करावाया है। इसके लिए उन्होने खुद भी काफी प्रयास किया है, जिसके लिए वे प्रशंसा के पात्र हैं। कमल हासन की सबसे बड़ी विशेषता उनके अभिनय मे मौलिकता होती है। इसे उन्होने फिर एक बार सिद्ध किया है। एक बात खटकती है - इस उद्देश्य हीं फिल्म को बनाने के लिए कमल हासन ने 99 करोड़ रुपये क्यों खर्च किए ?

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