Friday, February 1, 2013

विश्वरूपम के विरोध मे तमिल नाडु मे गतिरोध जारी

अपने प्रयासों के बावजूद आज तक कमल हासन अपने गृह राज्य मे अपनी सबसे महंगी फिल्म ( 93 करोड़) ' विश्वरूपम ' को रिलीज़ कराने मे कामयाब नहीं हुए । कल एक आशा की किरण कौंधी थी जब मुख्य मंत्री  सुश्री जयललिता ने इस समूचे प्रकरण स्वयं को अलग घोषित किया और स्पष्टीकरण दी की राज्य मे अनहोनी की स्थिति सेनिपटने के लिए पर्याप्त पुलिस बल उपलब्ध न होने कारण इस फिल्म के रिलीज़ को रोका गया। क्योंकि यह फिल्म राज्य मे पाँच हौ से अधिक सिनेमा घरों मे रिलीज़ होने वाली थी । राज्य सरकार तथाकथित आंदोलन कारियों से सहमी हुई है, आखिर क्यों ? फिल्म एक अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है और फ़िल्मकार इस माध्यम के द्वारा अपनी सामाजिक और  राजनीतिक सरोकार को पेश करता है। समाज के प्रति अपने नजरिए को वह पेश करता है। समाज चाहे उससे सहमत हो या न हो , लोकतन्त्र मे रचनाकारों और फ़िल्मकारों को ( और आम आदमी को ) यह हक है। संविधान यह हक हमें प्रदान करती है । इसलिए ऐसे विरोध और कला सर्जकों के प्रति अवैध और अन्यायपूर्ण है ।  देश के अन्य हिस्सों मे यह फिल्म दर्शकों को भा रही है और कहीं इस फिल्म के प्रति नकारात्मक आवाज़ नहीं उठी है । फिर केवल तमिल नाडु मे ही क्यों आपत्ति है ?

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