Sunday, April 3, 2011
भारत विश्व कप - विजेता
२ अप्रैल २०११ भारतीय खेल इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन और रात के ९ बजाकर ३० मिनट पर सारा देश थम गया। एक सौ बीस करोड़ लोग एक साथ देश के कोने कोने से जश्न और उत्सव के रंग में रंग गए। प्रादेशिक, भाषिक, मज़हबी और सांस्कृतिक विभेदों से ऊपर उठाकर सारे देश ने एक जुट होकर इस टीम इंडिया की जीत को हृदय की गहराइयों से अनुभव किया और देश के लिए एक होकर समर्पित हो गए - इस महान क्षण को अपने मन-मस्तिष्क में हमेशा हमेशा के लिए समाने के लिए। सारा देश इस इतिहास का हिस्सा बन गया। क्रिकेट की इस जीत ने सारे देश को एक कर दिया। सारे भेद-भाव मिट गए, छोटे-बड़े, स्त्री-पुरुष, आबाल-वृद्ध, हरेक ने इस खेल भावना को जिया और साकार किया। इस खेल ने देश में वह एकता भर दी जिसे पहले कभी देशवासियों ने अनुभव नहीं किया। ऐसे भी लोग जो क्रकेट से मुंह चिढाते थे वे भी क्रिकेट के इस अभूतपूर्व वातावरण में विलीन हो गए। आज हर देशवासी भारतीय टीम की इस ऐतिहासिक जीत से गौरवान्वित हुआ है और अपार गर्व का अनुभव कर रहा है। निश्चित ही यह जीत विश्व में भारतीय खेलों का एक नया इतिहास रचेगा। भारत का क्रिकेट प्रेम आज विश्व भर में गौरव और आदर का पात्र बन गयाहै। भातीय टीम की इस जीत के पीछे देश के १२० करोड़ लोगों की भावनाएं साथ रहीं। यह एक अति-विशिस्ट उपलब्धि का समय है। क्रिकेट एक अनिश्चितताओं का खेल है इसमें सफलता हासिल करना आज विश्व मंच पर एक अनूठी चुनौती है। इस खेल के नियम भी निराले हैं। सन १९८३ से लेकर आज तक इस खेल के प्रारूप कमें कई बदलाव आये हैं। आज का प्रारूप ( एक दिवसीय खेल का ) पहले से बहुत अलग हो गया है, बल्कि यह कहना होगा इसे अधिक कठिन तथा चुनौतीपूर्ण बना दिया गया है। इसमें रोमांच का पुट अब अधिक बढ़ गया गई। मैच के आखिरी गेंद तक भी हार-जीत का फैसला नहीं हो पाता है - लोग तनाव में आ जाते हैं। यह तनाव असहनीय भी हो जाता है जिस कारण कई लोगों ने अपनी जानें भी गवाई हैं । मौजूदा विश्व कप प्रतियोगिताओं में भारत जिस तरह से एक के बाद एक पडावों को पार करता हुआ जीत की ओर अग्रसर हुआ है, वह निश्चित रूप से काबिले तारीफ़ है। हमारी टीम ने सही सूझ-बूझ के साथ अपनी रन नीतियाँ तय कीं। इसमें कप्तान महेंद्रसिंह धोनी और कोच गैरी कर्स्टन का बहुत बड़ा योगदान है। फिर टीम में सचिन जैसे महान खिलाड़ी की उपस्थिति एनी खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा क़ा स्रोत बनती है। सचिन क़ा शालीन और संयमित तथा गौरवमय व्यक्तित्व अपने आप में एक विशेष अनुभूति प्रदान करता है। अचिन की मात्र उपस्थिति से साथी खिलाड़ी अपने को ऊर्जस्वित महसूस करते हैं। सचिन क़ा योगदान इस टीमके निर्माण में अद्भुत है.मैच जीतने के बाद टीम के सभी सदस्यों ने जिस खेल भावना से सचिन के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है वह अनुकरणीय है और ऐतिहासिक भी। आज के राजनेताओं को हमारी भारतीय टीम की खेल भावना से बहुत कुछ सबक लेना चाहिए। युवराज सिंह क़ा यह कथन कि सचिन ने २१ सालों तक भारतीय गौरव को अपने कन्धों पर रखकर उसे nibhaaya है तो आज उन्हें हम यह तोहफा देते हैं। इस विश्व कप को सचिन के नाम कर खिलाड़ियों ने जिस सम्मान और प्रेम का प्रदर्शन किया है वह महान मानवीय मूल्यों को दर्शाता है। वीराट कोहली का यह पहला ही विश्व कप है जिसमें उन्हें खेलने का अवसर का मिला, उनका बनही यही जज्बा गौर तलब है। खिलाड़ी जब अपने वरिष्ठ खिलादियोंके प्रति इस तरह की भावनाओं का प्रदर्शन करते हैं - इसके निहितार्थ समाज के हर वर्ग के लोगों तक पहुँचते हैं। इनमें छिपे हुए नैतिक मूल्यों की ओर एक बार हमारा ध्यान आकर्षित होता है। अभी हमारे समाज में ऐसे मूल्य बाक़ी हैं, बचे हुए हैं, जिसंकी हमें रक्षा करनी है। हमारे क्रिकेट के खिलाड़ियों ने अपने इस इस व्यवहार से देश के हर वर्ग को जागृत किया है। यह एक ऐसा अवसर है जब कि देश फिर से अपने खोते हुए नैतिक, सामाजिक और राष्ट्रीय मूल्यों को वापस लौटा लाये और एक नए समाज के पुनर्निमाण की प्रक्रिया शुरू हो सके। आज सारा देश इस महान उपलब्धि से अभिभूत है, भावाकुल है, भावोद्रेग की मन:स्थिति में है। इस जीत से सारा देश गदगद हो रहा है। सारे विभेद मिट गए हैं, यही सिलसिला चलता रहे। हम अपने सारे भेद-भाव मिटा दें और एकजुट हो जायेँ एक नए समाज को साकार रूप देने के लिए। सारे देश को बधाई - टीम इंडिया के हरेक सदस्य को बधाई और उन सारे कर्मचारियों और अधिकारियों को हार्दिक बधाई जिन लोगों के अथक प्रयासों से यह उपलब्धि हमें हासिल हुई है.
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तीन दशक बाद भारत को पुनः यह गौरव प्राप्त हुआ है। ज़ाहिर है समस्त भारत जश्न के मूड में होगा:)
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