Thursday, July 23, 2020

कोविद 19

23 जुलाई 2020
कलकत्ता
लगभग तीन साल बाद एक बार फिर ब्लॉगर की दुनिया में लौट रहा हूं. पिछला ब्लॉग 2017 में पोस्ट किया था. इधर जीवन ऐसा कुछ व्यस्त हो गया कि कुछ भी लिखना संभव नहीं हो सका. भटकाव और बिखराव बहुत रहा.
पढ़ा तो बहुत सारा और लुका भी बहुत, लेकिन ब्लॉग में नहीं दे सका. फिर एक निराशा यह भी थी कि कोई मेरे ब्लॉग देखता ही नहीं. कोई मेरे लिखे हुए पर ठिप्पणी ही नहीं करता, तो फिर लिखकर क्या फायदा ?

पिछले चार महीनों से सारी दुनिया भीषण महामारी से संक्रमित और त्रस्त है. सारे विश्व की अर्थ व्यवस्था ध्वस्त हो गई है, भारत का बहुत बुरा हाल है. मार्च के महीने से सारा देश एक दिशाहीन दौर से गुजर रहा है. केंद्र और राज्य सरकारों की आर्थिक स्थिति दयनाीय हो गई है. लाखों लोग बेरोजगार हो गए. उद्योग धंधे बंद हो गए. बाजार में कारोबार नहीं है. मध्य वर्ग और निम्न वर्ग के लोगों का जीवन बिखर गया है. हमारे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पहले से ही कमजोर रही है. इस महामारी के दौर में इसकी असलियत पूरी तरह खुलकर सामने आ गई. कोविद का इलाज साधारण आदमी कू हैसियत से परे है. सरकारी अस्पताल कोविद के मरीजों से भरे पड़े हैं. महानगरों में बड़े अस्पताल मनमाने ढंग से लाखों में पैसे वसूल रहे हैं, जिस पर कोई सरकार अंकुश नहीं लगा पा रहीहै.  विश्व भर के वैज्ञानिक कोरोना के इलाज के लास्ते तलाशने में जुटे हैं लेकिन अभी तक कोई सफलता हासिल नहीं हुई है.
शिक्षा का क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. देश भर के स्कूल और कॉलेज मार्च से बंद पड़े हैं. परीक्षाएं रद्द कर दी गईं. नए अकादमिक सत्र को शुरू करने के लिए देश भर में भ्रामक स्थिति बनी हुई है. केंद्र और राज्य सरकारों में ताल-मेल की कमी है इस कारण बच्चे और माता-पिता परेशान हैं, कोई निर्णय लेने की स्थिति में नहीं हैं, कोई भी.
महामारी का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है. कोई उपाय किसा को नहीं सूझ रहा है. सरकारें भी लाचार हैं. गरीब वर्ग सबसे अधिक प्रभावित है और पीड़ित है. हजारों की संख्या में लोग जान गंवा रहे हैं.
इस संकट की स्थिति में सारे भेदभाव के भुलाकर एकजुट होकर इस स्तिति का सामना करना होगा, सबके साथ लेकर चलना होगा. आपस में एक दुसरे े प्रति आत्मीयता और सद्भावना को जगीना होगा और परस्पर एक दूसरे की सहायता के लिए तत्पर रहना होगा. गरीबों की मदद खुलकर बिना शर्त करते रहना होगा. बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्याव रखना जरूरी है. 

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