Tuesday, July 8, 2014

लोकसभा मे नई सरकार का नवीन दृष्टि से सम्पन्न - रेल बजट प्रस्तुत

नई सरकार का प्रथम रेल बजट आज संसद मे तृणमूल कांग्रेस दल के आलोकतांत्रिक विरोधी तेवर के बीच प्रस्तु किया गया । रेल मंत्री सदानंद गौड़ ने सुदृढ़ और सधी हुई प्रशांत मुद्रा मे रेल बजट को शालीन ढंग से पेश किया ।इस बजट के प्रति हमेशा की भांति ही विपक्षी दलों ( इस बार कांग्रेस और तृणमूलकांग्रेस और भा क पा ) के विरोधी तेवर प्रतिक्रिया निषेधात्मक और नाराजगी से भारी रही । यह तो होना ही था । अब जो भी सत्ता पक्ष प्रस्तुत करेगा उसका विरोध तो करना ही होता है, प्रतिपक्ष का तो काम ही यह है । यह नकारात्मक परंपरा हमारे देश की संसदीय लोकतान्त्रिक प्रणाली मे बहुत पहले से चली आ रही  है । हमारे राजनीतिक दल  किसी भी राष्ट्रीय मुद्दे पर एकमत नहीं होते। सरकार द्वारा की गई किसी भी प्रस्ताव को प्रतिपक्ष राष्ट्र हित मे नहीं स्वीकार करती, प्रतिपक्ष हमेशा दलगत राजनीति करती रही है, आज फिर वही हुआ, हाला कि कांग्रेस संसद मे अल्पमत है
( केवल 44 सांसद ) फिर भी एक ओर तो वह नेता -प्रतिपक्ष का पद हासिल करने के लिए जी तोड़ कोशिश कर रही है ( संविधान के नियमों को जानते हुए ) और दूसरी ओर  बिना ठोस तर्क या आधार के रेल बजट के प्रति विरोध जता रही है ।
इस सरकार के रेल बजट को अनेक मायनों मे बहुत ही अलग ढंग का प्रगतिशील और आशाजनक बजट माना जा सकता है । पहली बार रेल बजट लोगों का मनभावन और मनलुभावन ( झूठे राहतों के बिना ) योजनाओं को ताक पर प्रस्तुत किया गया । भारतीय रेल पिछले दशकों की सरकारों के मंलुभावन स्कीमों के कारण सस्ते किराये की आड़ मे लगभग पटरी से उतरकर पूरी तरह से नष्ट होने के कगार पर पहुँच चुकी है, इसे पुनर्जीवित करने के लिए अपार पूंजी  की जरूरत है जो की इस समय ' छूट और राहत ' भारी योजनाओं से संभव  नहीं  है। इसी कारण मोदी सरकार ने रेल संगठन के पुननिर्माण की ओर ईमानदारी से ध्यान दिया है । बिना किसी संतुष्टीकरण की नीति को अपनाए हुए रुग्णप्राय रेल के कलेवर मे नए प्राण फूंकने का यह अभियान शुरू किया गया है जो की स्वागत योग्य है । ' बुलेट ट्रेन ' की कल्पना और उसे चरणबद्ध तरीके से देश के इतर हिस्सों मे भी शुरू करने की योजना सराहनीय है । गरीबी का रोना हम कब तक रोते रहेंगे, हमें गरेबी से भी उबरना है साथ ही  प्रगति और विकास के पथ पर दौड़ पड़ना है । ऐसे सुधारों की स्थितियों मे जनता को धीरज धारणा करना होगा । जनता को  संयम के द्वारा सरकार पर भरोसा कर उसे सकारात्मक कार्य करने की आज़ादी देनी चाहिए । प्रमुख रेल स्ट्रेशनों का आधुनिकीकरण, नई एक्सप्रेस रेलों का आरंभ, रेल मे यात्रियों की सुविधाओं मे सुधार, चलती गाड़ियों मे खानपान व्यवस्था मे अत्याधुनिक व्यवस्था आदि योजनाएँ जनकल्याण की हैं इनका स्वागत होना चाहिए ।
यदि ये सभीयोजनाएँ लागू हो जाती हैं तो हमें निकट भविष्य मे साफ सुथरी रेल गाड़ियों मे तेज रफ्तार से चलनी वाली गाड़ियों मे अधिक सुविधाजनक यात्रा का आनंद प्राप्त होने उम्मीद है । आइए हम सब इस रेल बजट को स्वीकार करें और सरकार को काम करने दें।
  

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