tag:blogger.com,1999:blog-2310722992220441552.post1332145390087632988..comments2023-05-12T13:25:51.010-07:00Comments on Titanik: कवीन्द्र रवीन्द्र के द्वारा रचित राष्ट्र गान के पाठ में अर्थ विभ्रम/स्पष्टीकरणVenkateshhttp://www.blogger.com/profile/02739467480396689822noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2310722992220441552.post-43349138915830607522009-11-11T09:00:31.557-08:002009-11-11T09:00:31.557-08:00सच हमेशा कड़वा होता है. और यह स्वीकार्य भी नहीं. ...सच हमेशा कड़वा होता है. और यह स्वीकार्य भी नहीं. शुक्ल जी सच में साधुवाद के पात्र हैं जिन्होंने इतनी मेहनत से यह लिखा. मैंने भी इसे पढ़ा. आपने ब्लाग के माध्यम से तो मैंने सीधे तौर पर लोगों को इस बारे में बताया. वे भी इसे पढ़कर और जानकर छला हुआ महसूस कर रहे थे. हमारा आम आदमी आज भी आम ही है. जिसे जो चाहे जब चाहे दबा और मसल सकता है. चूस कर फेंक सकता है. कितनी शिद्दत और गंभीर संवेदना से शुक्ल जी ने इसे लिखा. पर, इससे किसी को क्या फर्क पड़ता है. न सरकार न जनता, सब अपने आप में मसरूफ हैं. कितनी पीढ़ा और टीस से उन्होंने इसे एक से ज्यादा बार लिखा लेकिन .... जहॉं तक वंदेमातरम का सवाल है, उनका केवल एक सिंगल प्वाइंट एजेण्डा है कि कुरान, इस्लाम या शरीयत के नाम पर इस देश के संविधान और कानून की जितनी फजियत की जा सकती है करें. वह भी जितने तीखे व आक्रमक तरीके से हो अच्छा है. और हम जैसे आम जन लाचारी से यह सब सहते रहें. सारा सर्वधर्मसमभाव केवल आप और हम पर ही लागू है. अन्य किसी पर नहीं. सभी एक जैसे हैं. कोई सत्ता में रह कर धर्म और जात-पात के नाम पर रोटियॉं सेंक रहा है तो कोई सत्तारूढ़ होने के लिये. आपने महाराष्ट्र विधान सभा की हिन्दी में ली गयी शपथ की घटना पर जो कुछ लिख है वह स्वार्थपरक राजनीति का एक घृणित उदाहरण है. अस्मिता के नाम पर दुर्व्यवहार और किसी देश की राजभाषा का सरेआम विरोध अपमान और जुर्म से कम नहीं. स्वतंत्र देश में किसी भी भाषा का प्रयोग दूसरी भाषाओं का सम्मान है न कि अपमान. जबरदस्ती किसी का सम्मान नहीं करवाया जा सकता. अब यह होगा कि जितने मराठीभाषी महाराष्ट्र के बाहर हैं उन्हें अपनी मराठी छोड़ वहॉं की प्रांतीय भाषाएं अपनाने पर मजबूर किये जायेंगे और एक नया फसाद शुरू हो जायेगा. समय आ गया है कि शिक्षकों को शासन से लोहा लेना होगा. शिष्टाचार, मर्यादा या मूल्य इन्हें अच्छी तरह सीखाये जाने की जरूरत है अन्यथा किसी दिन बेवजह सामान्य जन इनकी जबरदस्ती के शिकार होंगे और सब माथा पीटते हुए लाचार बैठे ग़म मनाने के सिवा कुछ नहीं कर पायेंगे. ....... हो़श.HOMNIDHI SHARMAhttps://www.blogger.com/profile/14851071856706443401noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2310722992220441552.post-38989264750921961352009-11-10T04:07:43.057-08:002009-11-10T04:07:43.057-08:00इतिहास और हकीकत को झुठलाना इतना सरल नहीं है।गोएबल ...इतिहास और हकीकत को झुठलाना इतना सरल नहीं है।गोएबल की सच्चाई सच्चाई थोडे ही बन जाएगी :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.com